Guru Taar Do


गुरू तार दो ताराणहार हो, मेरी नैया के तुम खेवनहार हो ...

काल अनादी, फिर फिर आया,
नर तन पाया, व्यर्थ गवाया
अब तो गुरु तेरी शरण में आया,
देदो अब चरण कमल की छाया, कमल की छाया, गुरू तार दो ....

जब तक चमके चांद सितारे,
अमर रहो गुरू वल्लभ प्यारे,
धर्म का झण्डा लहरें मारे,
देदो सहारा अब गुरूवर प्यारे, गुरूवर प्यारे, गुरू तार दो ....

जब तक तन में श्वास है मेरे,
गाता रहूं गुरू गीत मैं तेरे,
तन छूटे सेवक कहे तब ये,
मुख से निकले अरिहंत मेरे, अरिहंत मेरे, गुरू तार दो ....

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