Guru ki bhakti karte karte

तर्ज : बस्ती बस्ती परवत परवत

गुरू की भक्ती करते करते, आज बना मन मतवाला

हे अनंत उपकारी गुरूवर, मैं तेरा गुणगाण करूं,
तेरे गीतों की माला को, तेरे ही चरणों में धरू, गुरू की...

जान लिया इस जग को मैंने, सब मतलब के दिखते हैं
धर्म और इमान यहां पैसे की खातिर बिकते हैं, गुरू की...

भूल गया इनसान आज तो, गुरू की महिमा करने को
चाँदी और सोने में उलझकर, भूल गया सब अपनों को, गुरू की...

हर चिंता मिट जाती है, गुरू नाम तुम्हारा लेने से,
हर बिगडी बन जाती है, गुरू ध्यान तुम्हारा करने से, गुरू की...

काया, माया आनी जानी, आज रहे कल जानी हैं,
वल्लभ भक्ति मण्डल गुरू के , चरणो में शीश झुकाती है, गुरू की...

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